कहते है तीसरी शक्ति जो दिखाई नहीं देती, जो सुनाई नहीं देती,
बस महसूस होती है, आस्था में, भक्ति में, जो सदैव आपके साथ चलती है,
मन की आवाज़ बन कर आपको सही मार्ग दिखती है, उसे भगवान कहते है |
भगवान ही एक मात्र हमारे हर सुख दुःख का, हर काम का साथी है| उन भगवान् ने खुद को पात्र बना कर जो भी लीला रची है, वो मानव जाती को एक सन्देश देती है| हज़ारो लीलाओ में से एक लीला जिससे हमे ये समझ आता है, की सभी मानव एक अद्भुत जीव है , जिसका उसके रूप से, रंग से, चेहरे से या दौलत से मापदंड नहीं किया जा सकता|
कहते है पार्वती माता ने अपने मेल से एक बालक की उत्पत्ति की जो दिखने में अति सुन्दर, बलशाली, और अपनी माता का रक्षक था| जिसने अपनी माता के आदेश को अपना धर्म माना और उस धर्म के चलते देवो के देव महादेव को भी भवन में प्रवेश न करने दिया | महादेव को गुस्सा आया और उन्होंने उस बालक का धड़ शरीर से अलग कर दिया|
जब माता पार्वती ने पुत्र का सर अलग पाया तो कोमल ह्रदय वाली माता ने विकराल रूप धारण कर लिया जिसे देख देव, देविया भयभीत हो गए| उनके गुस्से को शांत कर ने के लिए महादेव ने नवजात शिशु जिसकी माता शिशु से विपरीत सो रही हो, का धड़ मंगाया|हाथी के बच्चे का धड़ लगा कर, बालक को जीवित किया |
मनुष्य का शरीर और हाथी का धड़, एक अजीब बालक जिसे देख इंद्र व स्वर्ग के सभी देवता हंस पड़े | पर ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने अपनी अनंत शक्तिया देकर उस बालक को प्रथम पूजनीय , सबसे बुद्धिमान, विध्या के दाता, सिद्धि विनायक बना दिया |
इस लीला से भगवान ने ये समझाया है की हे मानव ! तू रंग – रूप – तन को छोड़ उस मनुष्य के गुण – क्रिया – मन को देख | किसी के आकार पर तो किसी के सौंदर्य पर हंसना छोड़ और भगवान की बनाई हर कृति से प्यार कर ……….
आज गजानन के जन्म दिवस पर, मंत्र मुघ्द शरीर हो जाता है,
बुद्धि के दाता , विध्न विधाता के चरणों में बार बार शीश झुकता है|
हाथी का सा मुँह है जिनका, गोल गोल सा पेट है,
डेड दन्त वाले गणपति का, लड्डू को खाना सेट है |
छोड़ सवारी बड़े विमानों की, मूषक को वाहन बनाया है,
हाथ न लेकर कोई भी शस्त्र, बुद्धि से काम चलाया है|
मात पिता में दुनिया सारी, तीनो लोक समाहित है,
पूज चरण ब्रह्माण नापा, सेवा करना अपने हित है |
लीला मेरे गणपति की कैसे गाके सुनाऊ, एक तरफ धन की देवी, दूसरी और विध्या की वीणा है,
संग लेकर चलते रिद्धि सिद्धि, हमे चरणों में इनके जीना है|
देख गजानन का वर्चस्त्व , हम ये शीश झुकाते है,
उनका आशीष बना रहे, दिल से यही चाहते है….. दिल से यही चाहते है |
बोलो गणपति बाप्पा मोरेया….मंगल मूर्ति मोरेया……
डॉ. सोनल शर्मा
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