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जीवनकाआधार: रिश्ता/ दौलत

जीवन का आधार: रिश्ता/ दौलत

जीवन का आधार: रिश्ता/ दौलत

पैसा ही सब कुछ………

कहते है आज के युग में हर व्यक्ति को पढ़ना चाहिए, ताकि वो अपने भविष्य में किसी और पर निर्भर न रहे| शिक्षा के चलते लड़के और लड़की का कमाने जाने वाला भेद भी ख़त्म हो गया है |

लेकिन कई बार दिमाग में एक प्रश्न आता है जिसका कोई उत्तर नहीं मिल पा रहा है|रिश्ता/ दौलत

” क्या वो अंतर ख़त्म हो जाना ठीक है या हम किसी नयी चुनौती को या नए खतरे को दस्तक दे रहे है?”

खतरा इसलिए नहीं की आज की पीड़ी आज़ाद हो गयी बल्कि इसलिए की अब ” सात जन्मो का रिश्ता – शादी ” भी इसी तर्ज़ पर होने लगे है| लड़का, लड़की की शिक्षा के आधार पर, उसकी मार्केट में चल रही महत्ता को आधार बना कर, वो कितना कमा कर दे सकती है या लड़की के पिता दहेज़ में कितनी दौलत दे सकते है, के तर्ज़ पर हां करता है,रिश्ता/ दौलत|

 वही लड़की, लड़के की पोजीशन, सैलरी, शहर देख कर हां करती है ताकि वो अपनी हर ज़िम्मेदारी से मुक्त रहे, और  स्वछंद जीवन जी कर अपनी खुशिया पा सके|

इन सब में भावनाये, सत्यता और प्यार की महत्ता कही खो सी गयी है, जिन्हे सिर्फ दौलत की तर्ज़ पर तौला जाता है, पैसो के मापदंड में मापा जाता है, और रिश्तो के तराज़ू में रख कर पैसो से बैलेंस किया जाता है|

अभी भी प्रश्न वही है दौलत से रिश्तो का मापदंड उचित या अनुचित ?

डॉ. सोनल शर्मा

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