आत्म सम्मान(self esteem)
सफलता हासिल हो जाती है, कुछ मेहनत और थोड़ी नालाकियो से, कौन शख्स इसका गुरूर दिखाता है,
कुर्सी पर तो हर इंसान बैठा है, पर कौन Chair-E-Post का सुरूर दिखाता है|
हम भरोसा खुद पर करते है, चुगलबाज़ो पर नहीं,
हम व्यवहार दिल से निभाते है, आड़ लेते कागज़ो पर नहीं,
जी हुज़ूरी वो करे, जिन्हे खुद पर विश्वास नहीं,
राजा है हम अपने दिल के दोस्तों,
खुशमिज़ाज़ जीते है, किसी फरेब (झूट) के ताज़ो पर नहीं|
नकाब ओढ़ कर खुद की जो मोहर लगाता है, पर कौन है जो सबको लड़ा के खुद को बतुर (बादशाह) दिखाता है|
ख़ामोशी को किसी की मजबूरी न समझना, संस्कारो ने शायद रोका हुआ है,
जवाब दिया तो इज़्ज़त गयी, गुरुजनो की इसी बात ने टोका हुआ है,
पर ऊँचे पद पर आसीन यजमान का, सोच का द्वार बंद हुआ है,
गलत-सही जैसे शब्दों से, इंसान वो दूर हुआ है|
हुक्म देना आसान है अपने दायरे वालो को, पर कौन है जो खुद गुलाम होकर आदेश लगाता है|
मुकम्मल जहाँ के लिए, मुकम्मल बना खुद को,
मत पकड़ औरो को, गिराने के लिए नज़रो से खुद को,
पहचान कीमत ए ज़ज़्बातो को,
ना दे सका किसी को आदर तो क्या, शीशे में ही सही, देने लायक रह आत्म सम्मान खुद को|
शीशे में ही सही, देने लायक रह आत्म सम्मान खुद को|
डॉ सोनल शर्मा